सचिन तेंदुलकर का बयान – ‘भारत में महिला क्रिकेट बदलाव के दौर में’

टीम इंडिया अभी तक किसी वैश्विक ट्रॉफी को नहीं जीत पाई है। तेंदुलकर का मानना है कि हरमनप्रीत कौर की अगुवाई वाली यह टीम घरेलू मैदान पर इतिहास रच सकती है।

महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर का मानना है कि भारत में मंगलवार से शुरू हो रहा आईसीसी महिला वनडे विश्व कप देश में महिला क्रिकेट के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। तेंदुलकर का कहना है कि यह सिर्फ एक खिताब जीतने का टूर्नामेंट नहीं होगा, बल्कि यह उन अनगिनत लड़कियों के सपनों को पूरा करने का मंच बनेगा जो क्रिकेट को करियर के रूप में देखती हैं।

2017 से मिली नई पहचान
भारतीय महिला टीम ने 2017 में इंग्लैंड में हुए विश्व कप के फाइनल में जगह बनाकर पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा था। हालांकि, टीम इंडिया अभी तक किसी वैश्विक ट्रॉफी को नहीं जीत पाई है। तेंदुलकर का मानना है कि हरमनप्रीत कौर की अगुवाई वाली यह टीम घरेलू मैदान पर इतिहास रच सकती है और महिला क्रिकेट को एक नई दिशा दे सकती है।

हरमनप्रीत की पारी ने बदली सोच
तेंदुलकर ने आईसीसी के कॉलम में लिखा, ‘मुझे आज भी 2017 विश्व कप के सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हरमनप्रीत कौर की 171 रनों की नाबाद पारी याद है। उनके शॉट्स की निडरता, दिमाग की स्पष्टता और दिल में साहस ने भारत में महिला क्रिकेट की तस्वीर बदल दी। यह वह पल था जब लोगों ने महिला क्रिकेट को गंभीरता से लेना शुरू किया।’

उन्होंने आगे लिखा कि मोगा में एक लड़की होगी जो अपने आदर्श हरमनप्रीत की तरह बनने के लिए बल्ला कसकर पकड़ रही होगी, और सांगली में एक और लड़की होगी जो स्मृति मंधाना की तरह कवर ड्राइव खेलने का अभ्यास कर रही होगी।

स्मृति मंधाना की कला से प्रभावित

तेंदुलकर स्मृति मंधाना की बल्लेबाजी से भी बेहद प्रभावित हैं। उन्होंने कहा, “स्मृति की बल्लेबाजी कला की तरह है। उनके शॉट खेलने का अंदाज, टाइमिंग और गैप खोजने की क्षमता उन्हें दुनिया की बेहतरीन बल्लेबाजों की श्रेणी में खड़ा करती है।

महिला क्रिकेट के लिए बड़ा मंच

सचिन तेंदुलकर का मानना है कि घरेलू मैदान पर हो रहा यह विश्व कप महिला क्रिकेट को वह पहचान देगा जिसकी उसे लंबे समय से जरूरत थी। उन्होंने कहा, ‘यह टूर्नामेंट लिंग, धारणा और पहुंच की बाधाओं को तोड़ने का मौका है। छोटे शहरों की लड़कियों को यह विश्वास होना चाहिए कि दुनिया उनके लिए खुली है, ठीक वैसे ही जैसे मैंने 1983 में कपिल देव की टीम को विश्व कप जीतते देख कर महसूस किया था।’

जय शाह की सराहना
मास्टर ब्लास्टर ने मौजूदा आईसीसी अध्यक्ष जय शाह की भी तारीफ की। उन्होंने कहा कि महिला क्रिकेट के लिए जो बदलाव हुए हैं, उनका बड़ा श्रेय जय शाह को जाता है। बीसीसीआई सचिव रहते हुए उन्होंने पुरुष और महिला खिलाड़ियों के लिए समान मैच फीस लागू करने और महिला प्रीमियर लीग (WPL) की शुरुआत में अहम भूमिका निभाई।

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