उत्तराखंड का इस शहर में भी नमामि गंगे परियोजना, 135 करोड़ की परियोजना को हरी झंडी

पौड़ी गढ़वाल जिले का प्रवेश द्वार कोटद्वार शहर भी अब केंद्र सरकार के महत्वाकांक्षी नमामि गंगे कार्यक्रम में शामिल हो गया है। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन की मंगलवार को नई दिल्ली में हुई बैठक में कोटद्वार में खोह नदी में गिरने वाले नौ नालों की टैपिंग और 21 एमएलडी (मिलियन लीटर डेली) क्षमता के एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) निर्माण को 135 करोड़ रुपये की लागत वाली परियोजना को सैद्धांतिक स्वीकृति दे दी गई।

सीवेज से संबंधित समस्या होगी हल
परियोजना के धरातल पर उतरने से कोटद्वार की सीवेज से संबंधित बड़ी समस्या हल हो जाएगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के प्रति आभार जताया है। कोटद्वार शहर से बहने वाली खोह नदी आगे चलकर रामगंगा में मिलती है, जो गंगा की सहायक नदी है। पूर्व में कोटद्वार शहर का स्वरूप काफी छोटा था, वक्त ने करवट बदली और शहर के विस्तार लेने के साथ ही यह अब नगर निगम के रूप में उच्चीकृत हो चुका है। ऐसे में वहां का सीवेज सिस्टम बढ़ती आबादी का दबाव सहन करने की स्थिति में नहीं हैं। यही नहीं, अविभाजित उत्तर प्रदेश में कोटद्वार का एसटीपी बिजनौर जिले में था। राज्य गठन के बाद बिजनौर वन प्रभाग की आपत्ति के बाद सीवेज का निस्तारण एक बड़ी चुनौती बना था। सीवेज की गंदगी खोह नदी में बह रही थी। इसे देखते हुए कोटद्वार को नमामि गंगे कार्यक्रम में शामिल कराने की कसरत शुरू की गई।

सीएम धामी ने किया था आग्रह
कुछ समय पहले ही खोह नदी में गिरने वाले नालों को टैप करने व एसटीपी निर्माण का प्रस्ताव राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन को भेजा गया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी केंद्रीय जलशक्ति मंत्री से इस प्रस्ताव को जल्द स्वीकृत करने का आग्रह किया था। मंगलवार को मिशन के महानिदेशक जी अशोक कुमार की अध्यक्षता में हुई कार्यकारी समिति की बैठक में कोटद्वार की इस परियोजना से संबंधित प्रस्ताव को विमर्श के बाद स्वीकृति दे दी गई।
बैठक से सचिव पेयजल अरविंद सिंह ह्यांकी और राज्य में नमामि गंगे कार्यक्रम के कार्यक्रम निदेशक रणवीर सिंह चौहान वर्चुअली जुड़े। परियोजना के निर्माण से खोह एवं रामगंगा नदियों के पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार होने के साथ ही गंगा में दूषित जल का प्रवाह रुकेगा।