उत्तरकाशी की सुरंग में आज सुबह से हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग का काम तो शुरू हो गया है, लेकिन ऑगर मशीन ने अभी काम शुरू नहीं किया है. अधिकारियों का कहना है कि अगले 30 से 40 घंटे में खुशखबरी मिलेगी. ट्रांसपोर्ट सचिव अनुराग जैन ने बताया कि यदि सब कुछ ठीक रहा और अगर बीच में कोई बड़ा पत्थर नहीं आया या कोई स्टील की चीज नहीं आई तो हम दो से ढाई दिन में मजदूरों को वापस निकाल लेंगे.
उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सुरंग हादसे को 10 दिन बीत चुके हैं. मलबा ढहने से 41 मजदूर अभी सुरंग के अंदर ही फंसे हुए हैं. मजदूरों को निकालने के लिए लगातार 5-6 एजेंसीज के बीच कोऑर्डिनेशन जारी है. ऐसे में वर्टिकल और हॉरिजोंटल दोनों तरफ से ड्रिलिंग का प्रोसेस किया जा रहा है. NHIDCL फूड, ऑक्सीजन और पानी की सप्लाई को नीचे पहुंचाने का काम कर रहा है. बीते दिन यानी सोमवार को ही NHIDCL ने सुरंग के अंदर तक 6 इंच चौड़ा पाइप डाला है. जिसके जरिए फूड और अन्य जरूरी सामानों को अंदर भेजा जा रहा है. बताते चलें कि मजदूरों के लिए आज शाम को रोटी-सब्जी और पुलाव भेजा जाएगा.
इस टनल में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए RVNL और BRO एक साथ काम कर रहे हैं. MDMA के सदस्य महमूद अहमद ने बताया कि सुरंग के अंदर जाने के लिए 22 मीटर तक 800 व्यास की पाइपलाइन लगाई जाएगी. इसके बाद ऑगर मशीन काम करेगी. आज सुबह से हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग का काम तो शुरू हो गया है, लेकिन ऑगर मशीन ने अभी काम शुरू नहीं किया है. 60 मीटर की लेंथ में बीच का एरिया सबसे कठिन होता है. अधिकारियों का कहना है कि अगले 30 से 40 घंटे में खुशखबरी मिलेगी.
ट्रांसपोर्ट सचिव अनुराग जैन ने बताया कि यदि सब कुछ ठीक रहा और अगर बीच में कोई बड़ा पत्थर नहीं आया या कोई स्टील की चीज नहीं आई तो हम दो से ढाई दिन में मजदूरों को वापस निकाल लेंगे. लेकिन अगर इस तरीके के बीच में हर्डल्स आ गया तो समय ज्यादा लग सकता है.
सरकार ने किया मजदूरों के परिजनों के ठहरने का इंतजाम
अनुराग जैन के मुताबिक 6 इंच के पाइप के बाद हालात थोड़े सुधरे हैं. अब हम मजदूरों से सीधे संपर्क में हैं. उन्हें अब प्रॉपर खाना और ऑक्सीजन मिल पा रही है. उन्होंने बताया कि जो भी परिवार के लोग हैं, उनको होटल में ठहराया जा रहा है और उनके लिए पूरी व्यवस्था की जा रही है.
MDMA के सदस्य सय्यद आता हसनैन ने कहा, मुझे मालूम है कि पूरा देश इस अंदेशे में है कि कब इस चुनौती को पूरा किया जाएगा और कब 41 वर्कर को बाहर निकला जाएगा. मैं आपको आश्वासन देना चाहता हूं कि दिल्ली, देहरादून बाकी राज्यों से जहां से यह वर्कर्स आए हैं, हर तरफ इनको लेकर के प्रयास किया जा रहा है. दिल्ली में कोऑर्डिनेशन किया जा रहा है. मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट इसको लेकर के काम कर रही है. प्रधानमंत्री कार्यालय पूरी तरीके से इस पर काम कर रहा है. सब एजेंसीज मिल कर काम कर रहे हैं. मैंने जो बताया कि बहुत सारी एजेंसीज इसमें काम कर रही हैं, भारत ने कोई ऐसा प्रयास नहीं छोड़ा है जिससे कि इनको बचाने में कोई कोताही हो और राहत पहुंचाने का पूरा लगातार काम किया जा रहा है.
ड्रिलिंग में कहां है सबसे ज्यादा चुनौती?
हॉरिजोंटल ड्रिलिंग के लिए Auger मशीन का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसमें कि 60 से 65 मीटर के डिस्टेंस में सबसे ज्यादा चुनौती है. चुनौती यह है कि इसमें पत्थर भी हो सकता है, इसमें आयरन रॉड भी हो सकता है. इसलिए पहले इन बाधाओं को दूर किया जा रहा है. प्रशासन की कोशिश है कि जल्द से जल्द यहां पर ऑपरेशन को पूरा किया जाए. इस रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए दुनिया के तीन-चार एक्सपर्ट वहां मौजूद हैं और ऑनलाइन भी एक्सपर्ट्स की सलाह ली जा रही है. भारत सरकार इन 41 मजदूरों को बचाने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है.
अंदर कोई दिक्कत नहीं’
MDMA के सदस्य सय्यद आता हसनैन ने कहा, मैं टाइमलाइन तो नहीं बता सकता हूं लेकिन जल्द से जल्द इन मजदूरों को निकाला जाएगा और हम देश के लोगों को आश्वासन देना चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा जो लोग फंसे हुए हैं उनको बचाने के प्रयास किया जा रहे हैं उनका खाना दिया जा रहा है उम्मीद यह की जा रही है कि उनको पका हुआ खाना दिया जाएगा बिजली का साधन अंदर शुरू से है किसी भी तरीके की दिक्कत नहीं है.
किस राज्य के कितने मजदूर?
इस टनल में अलग-अलग राज्यों के कुल 41 मजदूर फंसे हुए हैं. इनमें से उत्तराखंड के 2, हिमाचल प्रदेश से 1, यूपी से 8 मजदूर, बिहार से 5, पश्चिम बंगाल से 3 मजदूर, असम से 2, झारखंड से 15 मजदूर और ओडिशा से 5 मजदूर शामिल हैं.