पाकिस्तान और सऊदी अरब ने बुधवार को एक ‘रणनीतिक पारस्परिक रक्षा’ समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसके अनुसार किसी भी देश पर किया गया हमला ‘दोनों के विरुद्ध आक्रमण’ माना जाएगा। इस समझौते के बाद पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ अपना बड़बोलापन दिखाने से नहीं चूके। उन्होंने क्या कहा आइए जानते हैं।
पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच आपसी रक्षा समझौते में अन्य अरब देशों के शामिल होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने यह बात कही है। उन्होंने कहा है कि इस तरह की बातचीत के लिए दरवाजे बंद नहीं हैं।
पाकिस्तान और सऊदी अरब ने बुधवार को एक “रणनीतिक पारस्परिक रक्षा” समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसके अनुसार किसी भी देश पर किया गया हमला ‘दोनों के विरुद्ध आक्रमण’ माना जाएगा। एक संयुक्त बयान के अनुसार, इस समझौते पर प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने पाकिस्तानी नेता की खाड़ी साम्राज्य की एक दिवसीय यात्रा के दौरान हस्ताक्षर किए।
यह समझौता कतर में हमास नेतृत्व पर इस्राइल के हमले के कुछ दिनों बाद हुआ है। यह खाड़ी क्षेत्र में अमेरिका का एक प्रमुख सहयोगी है। इस सवाल के जवाब में कि क्या और अरब देश इस समझौते का हिस्सा बन सकते हैं, आसिफ ने कहा, “मैं इसका उत्तर समय से पहले नहीं दे सकता, लेकिन मैं इतना जरूर कहूंगा कि दरवाजे बंद नहीं हुए हैं।”
मंगलवार को जियो न्यूज को दिए एक साक्षात्कार में आसिफ ने कहा कि उन्होंने हमेशा नाटो जैसी व्यवस्था की मांग की है। आसिफ ने कहा, “मुझे लगता है कि यहां के देशों और लोगों, विशेषकर मुस्लिम आबादी का यह मौलिक अधिकार है कि वे अपने क्षेत्र, देशों और राष्ट्रों की रक्षा एक साथ मिलकर करें।”
उन्होंने कहा कि इस समझौते में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जो किसी अन्य देश के प्रवेश को रोकता हो या पाकिस्तान किसी अन्य के साथ ऐसा समझौता नहीं कर सकता हो। यह पूछे जाने पर कि क्या पाकिस्तान की परमाणु परिसंपत्तियां भी इस समझौते के तहत उपयोग के लिए उपलब्ध हैं, आसिफ ने कहा, “हमारे पास जो भी है, हमारी क्षमताएं हैं, वे निश्चित रूप से इस समझौते के तहत उपलब्ध होंगी।” आसिफ ने कहा कि पाकिस्तान ने हमेशा अपने परमाणु प्रतिष्ठानों को निरीक्षण के लिए पेश किया है और कभी कोई उल्लंघन नहीं किया है।
यह पूछे जाने पर कि क्या एक देश पर हमले से दूसरे देश की संलिप्तता हो सकती है या फिर दूसरे देश पर हमले से दूसरे देश की संलिप्तता हो सकती है, मंत्री ने कहा: ‘हां, बिल्कुल। इसमें कोई संदेह नहीं है।’ आसिफ ने आगे कहा कि यह कोई ‘आक्रामक समझौता’ नहीं बल्कि नाटो के समान एक रक्षात्मक व्यवस्था है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान भी काफी समय से सऊदी बलों को प्रशिक्षण देने में शामिल रहा है और हालिया घटनाक्रम केवल उसी का औपचारिक ‘विस्तार’ है। उन्होंने कहा, “यदि कोई आक्रमण होता है, चाहे वह सऊदी अरब के विरुद्ध हो या पाकिस्तान के विरुद्ध, हम संयुक्त रूप से उसका बचाव करेंगे।”
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की एक बड़ी सैन्य और वायुसेना टुकड़ी कई दशकों से सऊदी अरब में मौजूद रही है। उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि (पहले से मौजूद) संबंध अब अधिक स्पष्ट हो गए हैं और इस समझ को रक्षा समझौते का रूप दे दिया गया है।” इस समझौते पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा है कि भारत इस कदम के राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ-साथ क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन करेगा।