मुख्यमंत्री धामी ने विकास कार्यों व आपदा राहत के लिए ₹768 करोड़ से अधिक की धनराशि स्वीकृत की
राज्य वित्त आयोग की संस्तुतियों एवं आपदा प्रभावित क्षेत्रों के लिए किए गए बड़े निर्णय
उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने पंचम राज्य वित्त आयोग की संस्तुतियों के अनुपालन में प्रदेश के विभिन्न स्थानीय निकायों और विभागों के लिए कुल ₹768 करोड़ से अधिक की वित्तीय स्वीकृतियों को मंजूरी दी है। यह निर्णय राज्य में संतुलित विकास, आपदा प्रबंधन और बुनियादी ढांचे के सुदृढ़ीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
वित्तीय स्वीकृतियाँ इस प्रकार हैं:
-
गैर निर्वाचित निकायों को ₹3 करोड़, वित्तीय वर्ष 2025-26 की द्वितीय छमाही किश्त के रूप में।
-
जिला पंचायतों को ₹361.25 करोड़ की तृतीय त्रैमासिक व द्वितीय छमाही किश्त (पंचायत स्तर के निकायों सहित)।
-
शहरी स्थानीय निकायों को ₹333.25 करोड़ की तृतीय त्रैमासिक किश्त।
आपदा राहत और पुनर्निर्माण के लिए विशेष स्वीकृति:
-
हरिद्वार में मानसून के दौरान आपदाओं की संवेदनशीलता को देखते हुए आपदा न्यूनिकीकरण निधि से ₹1 करोड़ की आपात धनराशि।
-
उत्तरकाशी जिले के धराली व स्यानाचट्टी समेत अन्य क्षेत्रों में अतिवृष्टि से क्षतिग्रस्त परिसम्पत्तियों की मरम्मत हेतु ₹3 करोड़ की अतिरिक्त राशि।
सड़क व सेतु निर्माण कार्य:
-
पौड़ी गढ़वाल जिले के श्रीनगर विधानसभा क्षेत्र में चार सेतुओं के उच्चीकरण और एक मोटर मार्ग निर्माण हेतु ₹18.23 लाख की स्वीकृति।
राज्य आपदा मोचन निधि से आवंटन:
-
राजस्व परिषद, देहरादून को ₹2 करोड़
-
जनपद देहरादून को ₹16 करोड़
-
उत्तराखण्ड ग्रामीण सड़क विकास अभिकरण को ₹25 करोड़
बाढ़ नियंत्रण व आपदा मलबा हटाने हेतु स्वीकृति:
-
पौड़ी जिले के यमकेश्वर विकासखंड में विन नदी किनारे बाढ़ नियंत्रण कार्यों हेतु ₹2.58 करोड़
-
13 जनपदों में आपदा के दौरान तैनात जेसीबी व अन्य उपकरणों के भुगतान हेतु ₹26 करोड़ (प्रति जनपद ₹2 करोड़ की दर से)
सांस्कृतिक धरोहर से जुड़ा निर्णय:
मुख्यमंत्री ने एक ऐतिहासिक निर्णय में जनपद पिथौरागढ़ में स्थित ‘लंदन फोर्ट’ का नाम बदलकर ‘सोरगढ़ किला’ रखने को स्वीकृति दी है। इस संबंध में शासनादेश भी जारी कर दिया गया है।
निष्कर्ष:
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा किए गए इन व्यापक वित्तीय स्वीकृतियों और घोषणाओं से राज्य में ग्रामीण एवं शहरी विकास को गति मिलेगी, आपदा राहत कार्यों में तेजी आएगी और सांस्कृतिक विरासत को सम्मान मिलेगा। सरकार का यह कदम जनता के हितों और राज्य की दीर्घकालिक स्थिरता को सुनिश्चित करने की दिशा में एक ठोस प्रयास है।