ग्रिंडर ऐप (समलैंगिक डेटिंग एप) पर कई युवक शिकार बन रहे हैं। इस चक्कर में कुछ युवाओं ने अपना बहुत कुछ खो दिया। हरिद्वार में सामने आए इन मामलों के बाद जीआरपी ने इस गैंग का पर्दाफाश किया।
जीआरपी ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। एक आरोपी कुछ दिन पहले ही जेल गया है। दो फरार हैं। पीड़ित ने सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज कराई थी। कोर्ट में पेश कर आरोपियों को जेल भेज दिया है। फरार आरोपियों की तलाश में दबिश दी जा रही है।
शनिवार को एसपी रेलवे अजय गणपति कुंभार ने रेलवे स्टेशन स्थित जीआरपी थाने में पत्रकार वार्ता कर मामले का खुलासा किया। एसपी ने बताया कि पांच मई को ऋषभ कुमार निवासी ग्राम थरैया थाना मोहनियां, कैमूर बिहार इलाज के लिए हरिद्वार आया था।
इसी बीच ट्रेन में ही एलजीबीटीक्यू समुदाय से जुड़े डेटिंग एप पर उसकी दोस्ती रविकांत निवासी मुजफ्फरनगर हाल पता रामधाम कॉलोनी से हुई। रविकांत हरिद्वार रेलवे स्टेशन से अपनी बाइक से शंकराचार्य चौक पर ले गया। जहां पहले से ही उसके साथी मौजूद थे।
मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज कराई
सभी ने यहां से कनखल बैरागी कैंप ले जाकर मारपीट कर डरा-धमकाकर एटीएम कार्ड निकालकर पिन नंबर पूछा और यूपीआई के जरिये करीब 30 हजार रुपये लूट लिए। साथ ही मोबाइल फोन, सोने की चेन, अंगूठी लूट ली थी। पीड़ित कनखल थाने पहुंचा तो उसे नगर कोतवाली और वहां से जीआरपी थाने जाने के लिए कहा। तब उसने थाने आने के बजाय मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज कराई।
एसपी ने बताया कि पीड़ित की तरफ से मुकदमा दर्ज कर जीआरपी और एसओजी की टीम जांच-पड़ताल में लगाई गई। टीम ने सीसीटीवी कैमरे खंगालते हुए मुखबिर की सहायता से आरोपी विनीत कुमार कटारिया निवासी मंडावर बिजनौर हाल पता रामधाम काॅलोनी रावली महदूद, उत्तम कुमार निवासी गायत्री विहार सराय ज्वालापुर, रविकांत निवासी हैदरनगर तितावी मुजफ्फरनगर हाल पता रामधाम कॉलोनी को शनिवार को गिरफ्तार कर लिया।
आरोपियों ने पूछताछ में अपने साथी विनीत राणा, अर्जुन और मोनू पाल का नाम भी बताया। मोनू रानीपुर कोतवाली से एक मामले में कुछ समय पहले ही जेल गया है। प्रेस वार्ता में एएसपी अरुणा भारती, जीआरपी एसओ अनुज सिंह, एसओजी प्रभारी विनय मित्तल मौजूद रहे।
कई को बनाया शिकार, पीड़ित नहीं पहुंचे पुलिस तक
आरोपी पिछले काफी समय से इस अपराध को अंजाम दे रहे थे। पहले भी एप के माध्यम से कई लोगों को फंसाकर अन्य जगहों पर ले जाकर लूट को अंजाम दिया। लेकिन बदनामी के डर से पीड़ित पुलिस तक नहीं पहुंचे हैं। पूछताछ में आरोपियों ने कई युवाओं को इसी तरह से लूटने की बात भी स्वीकार की है।
छह पुलिसकर्मी कर रहे थे जांच
एसपी ने बताया कि मामले के खुलासे के लिए छह पुलिसकर्मियों की टीम लगाई गई थी। जिसमें जीआरपी थाना प्रभारी अनुज सिंह, एसओजी प्रभारी विनय मित्तल, कांस्टेबल दीपक चौधरी, विनीत कुमार, मनोज कुमार और प्रदीप कुमार को लगाया गया था। टीम सीसीटीवी चेक करने के साथ ही सर्विलांस और अन्य माध्यमों से आरोपियों तक पहुंची।